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21 September 2018

3306 - 3310 जिंदगी वक़्त जख्म कायदा क़िस्मत मतलब रिश्ते मंजिल जुगनु रोशनी मोहताज शायरी


3306
मुकद्दरकी लिखावटका,
एक ऐसा भी कायदा हो;
देरसे क़िस्मत खुलने वालोंका,
दुगुना फ़ायदा हो।

3307
"मतलब" बहुत वजनदार होता हैं...
निकल जानेके बाद...
हर रिश्तेको हल्का कर देता हैं...!

3308
ढुंढ लेते हैं,
अंधेरोमें मंजिल अपनी;
क्योंकि जुगनु कभी,
रोशनीके मोहताज नहीं होते...!

3309
जिंदगी जख्मोसे भरी हैं,
वक़्तको मरहम बनाना सीख लो;
हारना तो हैं मौतके सामने,
फिलहाल जिंदगीसे जीतना सीख लो...

3310
सासें कम हो बेशक़,
बस लेकिन...
जिनेकी वजह,
बडी होनी चाहिए...!