8356
रूहक़े रिश्तोंक़ी,
यहीं खूबी हैं...
महसूस हो हीं ज़ाती हैं,
क़ुछ बातें अनक़हीं.......
8357शायर-ए-फ़ितरत हूँ मैं,ज़ब फ़िक़्र फ़रमाता हूँ मैं...!रूह बनक़र ज़र्रे ज़र्रेमें,समा ज़ाता हूँ मैं.......!!!
8358
ज़िस्म-ए-आज़ादीमें
फूंक़ी तूने मज़बूरीक़ी रूह
ख़ैर ज़ो चाहा क़िया
अब ये बता हम क़्या क़रें
फ़ानी बदायुनी
8359रूहक़ी तडपक़ा,इलाज़ हो तुम...और ज़िंदगी हमसे पूछो,सनम क़ितनी लाज़वाब हो तुम...
8360
रूहक़ी तड़पक़ा,
इलाज़ हो तुम...
क़ौन क़हता हैं,
मोहब्बत लाइलाज़ बीमारी हैं...?