Showing posts with label शाम चराग़ सजा इंतजार पलके ​हवा शमा शर्त शायरी. Show all posts
Showing posts with label शाम चराग़ सजा इंतजार पलके ​हवा शमा शर्त शायरी. Show all posts

17 March 2017

1098 शाम चराग़ सजा इंतजार पलके ​हवा शमा शर्त शायरी


1098
हमने ये शाम चराग़ोंसे सजा रक्खी हैं;​​
आपके इंतजारमें पलके बिछा रखी हैं;
​हवा टकरा रहीं हैं शमासे बार-बार;​​
और हमने शर्त इन हवाओंसे लगा रक्खी हैं