17 March 2017

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हमने ये शाम चराग़ों से सजा रक्खी है;​​
आपके इंतजार में पलके बिछा रखी हैं;
​हवा टकरा रही है शमा से बार-बार;​​
और हमने शर्त इन हवाओं से लगा रक्खी है।

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