26 March 2017

1142 वक़्त नूर छोटे जख्म नासूर वक़्त मजबूर चाहत दूर शायरी


1142
वक़्त नूरको बेनूर बना देता हैं,
छोटेसे जख्मको नासूर बना देता हैं,
कौन चाहता हैं अपनोंसे दूर रहना
पर वक़्त सबको मजबूर बना देता हैं . . .

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