17 March 2017

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कहने को खुली किताब हूँ मैँ  !
मगर सच कहूँ तो एक राज़ हूँ मैँ,
सब को लगता है...
लहर हूँ,
नदी हूँ,
या समन्दर हूँ मैँ,
मगर सच कहूँ तो बस...
प्यास हूँ मैँ ! ! !

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