17 March 2017

1096 सच खुली किताब राज़ लहर नदी समन्दर प्यास शायरी


1096

प्यास, Thirst

कहनेको खुली किताब हूँ मैं  !
मगर सच कहूँ तो एक राज़ हूँ मैं,
सबको लगता हैं...
लहर हूँनदी हूँ,
या समन्दर हूँ मैं,
मगर सच कहूँ तो बस...
प्यास हूँ मैं ! ! !

I am an open book!
But to tell the truth, I am a secret.
Everyone feels...
I am a wave, I am a river,
Or am I the ocean?
But to be honest...
I am a thirst! ! !

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