19 March 2017

1108 अल्फ़ाज़ कंकर फ़ेंक झील गहरी ख़ामोशी शायरी


1108
अल्फ़ाज़के कुछ तो,
कंकर फ़ेंको...
यहाँ झीलसी गहरी,
ख़ामोशी हैं....

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