22 March 2017

1125 अंदाज खामोश बोल बरस तरस शायरी


1125
हमारा अदांज ही कुछ ऐसा हैं कि...
हम बोलते हैं,
तो बरस जाते हैं !
और
खामोश रहते हैं,
तो लोग तरस जाते हैं...!!!

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