18 March 2017

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ज़िंदगी है नादान इसलिए चुप हूँ...
दर्द ही दर्द सुबह शाम इसलिए चुप हूँ...
कह दूँ जमाने से दास्तां अपनी...
उसमें आयेगा तेरा नाम इसलिए चुप हूँ...!

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