13 March 2017

1082 ज़िन्दगी साँस यकीन बदल शायरी


1082
तुम्हारे बदल जानेपर,
मुझे आज भी यकीन नहीं आता l
ज़िन्दगी साँस लेनेको मना कर दे,
यह कौन मानेगा...?

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