Showing posts with label जिंदगी जमाने लफ्ज़ दीवार बेचैनियाँ जहन चेहरे सुकून शायरी. Show all posts
Showing posts with label जिंदगी जमाने लफ्ज़ दीवार बेचैनियाँ जहन चेहरे सुकून शायरी. Show all posts

11 September 2019

4716 - 4720 जिंदगी जमाने लफ्ज़ दीवार बेचैनियाँ जहन चेहरे सुकून शायरी


4716
ये जिंदगी हैं जनाब...
जीना सिखाये बगैर,
मरने हीं देती...!

4717
लफ्ज़ोंके दाँत नहीं होते,
पर ये काट लेते हैं;
दीवारें खड़ी किये बगैर,
हमको बाँट देते हैं ll

4718
रोये बगैर तो प्याज भी,
नही कटता जनाब...
फिर ये तो जिदंगी हैं,
ऐसे कैसे कट जायेगी...!

4719
कितनी बेचैनियाँ हैं,
जहनमें तुझे लेकर...
पर तुझसा सुकून भी,
और कहीं नहीं.......!

4720
चेहरेपर सुकून तो बस,
दिखाने भरका हैं 
वरना बेचैन तो हर शख्स,
जमाने भरका हैं ।।