4716
ये जिंदगी हैं जनाब...
जीना सिखाये बगैर,
मरने
नहीं देती...!
4717
लफ्ज़ोंके दाँत नहीं
होते,
पर ये
काट लेते हैं;
दीवारें
खड़ी किये बगैर,
हमको बाँट
देते हैं ll
4718
रोये बगैर तो
प्याज भी,
नही कटता जनाब...
फिर ये तो
जिदंगी हैं,
ऐसे कैसे कट
जायेगी...!
4719
कितनी बेचैनियाँ हैं,
जहनमें तुझे लेकर...
पर तुझसा सुकून भी,
और कहीं नहीं.......!
4720
चेहरेपर सुकून
तो बस,
दिखाने
भरका हैं ।
वरना बेचैन तो हर
शख्स,
जमाने भरका हैं ।।
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