5 September 2019

4686 - 4690 मोहब्बत ज़िन्दगी ऐतबार कसम सब्र रिश्ता ग़म प्यार शायरी


4686
इंसान अगर प्यारमें पड़े,
तो ग़ममें पड़ ही जाता हैं...
क्योंकि प्यार किसीको चाहे जितना भी करो,
थोड़ासा तो कम पड़ ही जाता हैं...

4687
मैने दरवाजे पर लिखा,
"अन्दर आना सख्त मना हैं l"
मोहब्बत हंसती हुई आयी,
और बडे प्यारसे बोली,
माफ करना, मैं तो अंधी हूँ...!

4688
अब तो खुदापर भी ऐतबार नहीं,
अपनी ज़िन्दगीसे भी प्यार नहीं;
तू कभी भूलसे भी हमें प्यार करे,
तेरी कसम हमें इसका ऐतबार नहीं...!

4689
प्यारमें हमारे सब्रका,
इम्तेहा तो देखो...
वो मेरी बाहोंमें सो गई रोते-रोते,
किसी औरके लिए.......

4690
भूख रिश्तोंको भी लगती हैं,
प्यार परोसकर तो देखिये...!

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