4 September 2019

4676 - 4680 जुदाई आँख जमाने नफरत तुफान शौक शर्ते यार तोहफा फर्क काबिल प्यार शायरी


4676
जुदाईका हमे क्या,
वो हसते हसते सह लेंगे...
आँखोमें उनके प्यार दिखाई दे,
तो जमानेसे रुखवत कर लेंगे...!

4677
कोई प्यारसे जरा सी,
फुंक मार दे तो बुझ जाऊँ...
नफरतसे तो तुफान भी,
हार गए मुझे बुझानेमें...!

4678
मेरे अकेलेपनको,
मेरा शौक ना समझो यारो...
बड़े ही प्यारसे तोहफा दिया हैं,
किसी चाहने वालेने.......!

4679
"कोई छुपाता हैं, कोई बताता हैं;
कोई रुलाता हैं, तो कोई हंसाता हैं;
प्यार तो हर किसीको,
किसी किसीसे हो जाता हैं;
फर्क तो इतना हैं कि,
कोई अजमाता हैं और कोई निभाता हैं...!"

4680
कैसे करे हम खुदको,
उनके प्यारके काबिल... 
जब हम आदते बदलते हैं,
तो वो शर्ते बदल देते हैं...!

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