27 September 2019

4791 - 4795 दिल जहाँ बेवफ़ाई ग़म आफ़त रंग मोहब्बत इश्क़ शायरी


4791
चलते थे इस जहाँमें कभी,
सीना तानके हम...
ये कम्बख्त इश्क़ क्या हुआ,
घुटनोपे गए हम.......

4792
ज़िंदा हैं तो बस,
तेरे इश्क़के रहमो करम पर...
मर गए तो समझ लेना,
तेरी बेवफ़ाईमें दम था...!

4793
इश्क होनेके, 
सिर्फ दो तरीके थे...
या दिल बना होता, 
या वो बने होते...!

4794
इक इश्क़का ग़म आफ़त,
और उसपे ये दिल आफ़त...
या ग़म ना दिया होता,
या दिल ना दिया होता...!

4795
रंग देंगे तुझे, अपनी...
मोहब्बतके रंगमें होलीपर...
ये जो इश्क़का महीना,
बीत गया तो क्या हुआ...!

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