1 September 2019

4671 - 4675 ज़िंदगी पहचान तूफ़ान शर्त रंग आँख इंतजार तारीफ आदत ज़ख्म प्यार शायरी


4671
तेरे प्यारने ज़िंदगीसे,
पहचान कराई हैं
मुझे वो तूफ़ानोसे,
फिर लौटाके लाई हैं

4672
शर्तपर खेलूंगी प्यारकी रंगपंचमी,
जीतू तो, तुझे पाऊँ...!
हारु तो, तेरी हो जाऊँ...!!!
 
4673
रोती हूई ख़ोंमें इंतजार होता हैं,
ना चाहते हुए भी प्यार होता हैं;
क़्यूँ देखते हैं हम वो सपने,
जिनके टुटनेपर भी इंतजार होता हैं...

4674
उसने गुस्सेसे कहां,
आपकी तारीफ ?
हमने प्यारसे कहां,
जी भरके कीजिये.......!

4675
सबको प्यार देनेकी आदत हैं में,
मुश्किलमे साथ देनेकी आदत हैं में;
कितना भी गेहरा ज़ख्म दे कोई,
उतना ही ज़्यादा मुस्कुरानेकी आदत हैं में...

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