19 September 2019

4746 - 4750 नादान काजल जुल्फें इंतजाम मोहब्बत बाजी आँख अश्क़ जान शायरी


4746
थोड़े बदमाश हो तुम,
थोड़े नादान हो तुम;
हाँ मगर ये सच हैं,
हमारी जान हो तुम...!

4747
क्युँ तुले हो मेरी "जान" लेनेको
जनाब...?
"जान" भी "तुम" हो और,
ये जानते भी "तुम" हो...!

4748
ये लाली, ये काजल,
ये जुल्फें भी खुली खुली...
तुम यूँ ही जान मांग लेती,
इतना इंतजाम क्यूँ किया...!

4749
तुमसे किसने कह दिया की,
मोहब्बतकी बाजी हार गए हम...
अभी तो दांवमें चलनेके लिए,
हमारी जान बाकी हैं.......!

4750
जान--तन्हापे,
गुजर जायें हजारो सदमें,
आँखसे अश्क़ रवाँ हों,
ये ज़रूरी तो नहीं...!

No comments:

Post a Comment