4 September 2019

4681 - 4685 मोहब्बत ज़िन्दगी प्रेम इश्क़ बेवजह दीवार पल ग़म प्यार शायरी


4681
प्यार ख़ुद, ख़ुदा हैं;
या तो पूजा कर ले...
या तो प्यार.......!

4682
ये प्रेम, प्यार, इश्क़, मोहब्बतके
एक-एक अक्षर विकलांग क्यों हैं...?

4683
नाराजगी भी बड़ी प्यारीसी चीज हैं,
चंद पलोमें प्यारको...
दुगुना कर देती हैं.......!

4684
टूट कर बिखर जाते हैं वो लोग,
मिट्टीकी दीवारोंकी तरह...
जो खुदसे भी ज्यादा,
किसी औरसे प्यार करते हैं...!

4685
बेवजह अब ज़िन्दगीमें,
प्यारके बीज बोए कोई...
मोहब्बतके पेड़ हमेशा,
ग़मकी बारिश ही लाते हैं...!

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