4721
सबने खरीदा सोना, मैने
एक सुई खरीद
ली...
सपनोंको
बुनने जितनी डोरी
खरीद ली।
शौक-ए-जिन्दगी
कुछ कम किये,
फिर सस्तेमें
ही सुकून-ए-जिन्दगी खरीद ली।।
4722
बहुत सुकून हैं,
सुन
ऐ रात तेरी
बाँहोंमें...
सारा दिन चलता
हूँ,
तुझ तक
आनेके लिए...!
4723
जरूरी नही कि
सबके दिलोंमें,
धड़का ही
जाऐ...
कुछ लोगोंके दिलोंमें खटकना भी,
एक सुकून देता
हैं.......!
4724
इन
"शायरियों" में खो
गया हैं,
कहीं
"सुकून" मेरा...!
जो तुम "पढ़कर" मुस्कुरा
दो,
तो "हासिल"
हो जाए.......!
4725
कैसे सुकून पाऊँ तुझे
देखनेके बाद,
अब क्या ग़ज़ल
सुनाऊँ तुझे देखनेके बाद;
आवाज़ दे रही
हैं मेरी ज़िन्दगी
मुझे,
जाऊँ के या
न जाऊँ तुझे
देखनेके बाद...!
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