22 September 2019

4766 - 4770 जिंदगी सजदा किताब जरूरतें मोहब्बत इश्क़ शायरी


4766
मनको समझाया था मैने,
इस इश्क़-विश्क़से दूर रहो;
पर ये मन, मन ही मनमें,
अपनी "मनमानी" कर बैठा...!

4767
इश्क़की किताबका,
उसुल हैं जनाब...
मुड़कर देखोगे,
तो मोहब्बत मानी जाएगी...!

4768
इश्क़ वो नहीं,
जो तुझे मेरा कर दे...
इश्क़ वो हैं जो तुझे,
किसी और का ना होने दे...!

4769
इश्क़ क्या,
जिंदगी देगा किसीको...?
ये तो शुरू ही,
किसीपर मरनेसे होता हैं...!

4770
ये तो अपनी अपनी जरूरतें,
सजदा करवाती हैं साहब...
वर्ना इश्क़ और खुदामें आज तक,
खुदाको किसने चुना हैं.......?

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