16 September 2019

4731 - 4735 ज़िंदगी काजल तबाह कत्ल अश्क लब लहज़ा मासूम अल्फाज़ याद मुस्कान शायरी


4731
थोड़ा काजल लगा लिया,
थोड़ी मुस्कान बिखरा दी...
खुद तो सज गए हुज़ूर,
और हमें तबाह कर दिया...!

4732
चेहरेपे मुस्कान लिए,
फिरने वाले...
रखते हैं ज़िंदगीको,
हैरांन करके.......!

4733
क्या खाक कत्लखाने बन्द हो रहें हैं...?
तेरी मुस्कान तो जस की तस हैं.......!!!

4734
वही शख्स मुझे,
अश्कोकी आहें दे गया...
जिसके लबोपे मैने,
हमेशा मुस्कान चाही.......

4735
तेरी मुस्कान, तेरा लहज़ा और...
तेरे मासूमसे अल्फाज़...!
और क्या कहुँ...
बस बहुत याद आते हो तुम...!!!

No comments:

Post a Comment