21 December 2016

860 दुआ कबूल वख्त शायरी


दुआएं रद्द नही होती ,
बस
बहेतरीन वख्तपे,
कबूल होती है  . . . !

859


"किस जगह रख दूँ मैं .......
तेरी यादों के चिराग को,
कि उससे रौशन भी रहूँ.......
और हथेली भी जले".......

858


ये "मोहब्बत"
भी तो एक नेकी है,
आओ मिलकर 
दरिया में डाल देते हैं !!!

857


अगर रुक जाए मेरी धड़कन
तो मौत समझना...
कई बार ऐसा हुआ है
तुझे याद करते करते

856


लम्हें ये सुहाने साथ हो ना हो ,
कल मे आज जैसी बात हो ना हो ,
आपका प्यार हमेशा इस दिल में रहेगा ,
चाहे पूरी उम्र मुलाकात हो ना हो ...

19 December 2016

855


टूटे दिल को, संभलने की आस क्या रखिये,
कितना खोया ज़िंदगी में हिसाब क्या रखिये,
अगर बांटनी है तो खुशियाँ बांटो दोस्तों से,
अपने अज़ाब अपने हैं,सब को उदास क्या रखिये।

854


उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो;
जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो;
इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है;
इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो।

853


खूबसूरती की तारीफ ...
शब्दों से नहीं होती
असल तारीफ वो है ...
जिसके लिए शब्द हो ...!!!

852


ना मुस्कुराने को जी चाहता है,
ना आंसू बहाने को जी चाहता है,
लिखूं तो क्या लिखूं तेरी याद में,
बस तेरे पास लौट आने को जी चाहता है |

851


महफील भले ही
प्यार करने वालो की हो,
उसमे रौनक तो
दिल टुटा हुआ शायर ही लाता है…

15 December 2016

850


बड़ा मुश्किल है...
जज़्बातो को पन्नो पर उतारना
हर दर्द महसूस करना पड़ता है...
लिखने से पहले

849


हम आपके दिल मे एक याद बनकर रहेंगे,
तेरे चहेरे पे एक मुस्कान बनकर रहेंगे,
हमे आपके करीब हे समजना ज़िंदगी मे,
हम आपके साथ आसमान बनकर रहेंगे.

848


निकलते है तेरे आशिया के आगे से,
सोचते है की तेरा दीदार हो जायेगा।
खिड़की से तेरी सूरत न सही...
तेरा साया तो नजर आएगा।।

847


तू साथ मेरे है, तू पास मेरे है,
जानता हू मैं ये दिन सुनहरे हैं.
इस दिल की खातिर तू पास है मेरे,
जाने क्या क्या इस दिल मेंअरमान तेरे हैं.

846


मेरे वजूद मे काश तू उतार जाए,
मे देखु आईना और तू नज़र आए,
तू हो सामने और वक़्त ठहर जाए,
ये ज़िंदगी तुझे यू ही देखते हुए गुज़र जाए

14 December 2016

845


लगता है "खुदा" का
बुलावा आने वाला है,
आज कल मेरी झूठी
"कसम" खा रही है वो

844


तुम हँसों तो खुशी मुझे होती है...
तुम रूठो तो आँखे मेरी रोती हैं...
तुम दूर जाओ तो बेचैनी मुझे होती है...
महसुस कर के देखो मोहब्बत
ऐसी ही होती है........

843


समेट लो इन नाजुक पलों को
जाने ये लम्हे कल हो हो
हो भी ये लम्हें क्या मालुम
शामिल उन पलों में हम हो हो

842


इतनी मोहब्बत
तो नही की थी तुमने,
जितने ज़ख़्म तूम
दे रहे हो....

841


मोहब्बत वक़्त के
बे-रहम तूफान से नही डरती ,
उससे कहना,
बिछड़ने से मोहब्बत तो नही मरती !