27 December 2016

895


ना तोल मेरी मोहब्बत
अपनी दिल्लगी से,
देख कर मेरी चाहत को
अक्सर तराजू टूट जाते है...!

894


अगर ना  होता बरबादी का गम
अफसाने कहा जाते,
दुनिया होती चमन तो वीराने कहा जाते...
अच्छा हुआ अपनो मे कोई तो गैर निकला,
सभी होते अपने तो बेगाने कहा जाते.

893


तुझे याद करना भी अब,
दिल का धडकना सा बन गया है... 
पता नही जिंदगी सांसो से चल रही है,
या तेरी यादों से...

892


उसने हर नशा सामने लाकर रख दिया
और कहा...
सबसे बुरी लत कौनसी है...
मैंने कहा
तेरे प्यार की...

891


मुझे रिश्तो की
लंबी कतारोँ से मतलब नही ,
कोई दिल से हो मेरा,
तो एक शख्स ही काफी है…।

26 December 2016

890


कितना मुश्किल है
मनाना उस शख्स को ..
जो रूठा भी ना हो और बात
भी ना करे … !

889


मैने कभी नहीं कहा,
की तू भी मुझे बेपनाह प्यार कर...,
बस इतनी सी ख्वाहिश है,
मेरी की "तू मुझे महसूस कर."

888


मेरी महोब्बत बेजुबा होती रही
दिल की धडकनें अपना वजुद खोती रही,
कोई नहीं आया मेरे दु:ख में करीब
एक बारिश थी जो मेरे साथ रोती रहीं |

887


यादों की किम्मत वो क्या जाने;
जो ख़ुद यादों को मिटा दिए करते हैं,
यादों का मतलब तो उनसे पूछो जो,
यादों के सहारे जिया करते हैं . . . !

886


वो बक्त कुछ और था जब सब से,
तेरी ही बातें होती थी...
आज तेरा कोई नाम भी ले तो हम बात,
बदल देते है.......

885


कितना समझाया दिल को
कि तू प्यार ना कर;
किसी के लिए खुद को
बेक़रार ना कर...
वो तेरे लिए नहीं है
नादान;
पागल किसी और की अमानत का
इंतज़ार ना कर...

884


हो सके तो,
दूर रहो मुझ से,
टूटा हुआ हूँ,
चुभ जाऊँगा...

883


किसी ने जब मेरी शायरी मे
दरद का राज़ पुछा
तो मेरी बेबसी तो देख़
मै तेरा नाम भी नही ले सका़

882


देख कर उसको अक्सर हमे एहसास होता है,
कभी कभी गम देने वाला भी बहुत ख़ास होता है,
ये और बात है वो हर पल नही होता हमारे पास,
मगर उसका दिया गम अक्सर हमारे पास होता है…!

881


दाग लगाकर जो खुद बेदाग हो गए
इल्ज़ाम लगा अब वो थानेदार हो गए
वक्त की सरहद पर खड़े है
दोस्त थे जो अब वो दुश्मन हो गए.!

25 December 2016

880

मैं समझा,
यहाँ सब अपने थे,
जब नींद से जागा तो पता चला...
सारे सपने थे...

879


मुझसा ही आलसी,
मेरा खुदा है,
ना में कुछ मांगता हूं और
ना वो कुछ देता है !

878


हमें क्या पता था,
महोब्बत हो जाएगी,
हमें तो बस तेरी बातें,
अच्छी लगती थी…!!!

877


अभी जरा वक़्त है
उनको हमे आजमाने दो।
रो रो के पुकारेंगे हमे ;
जरा वक़्त तो आने दो।

876


तूम हमे कभी दिल
कभी आखो से पूकारो,
ये ओठो का तकल्लूफ
तो जमाने के लीए है...