29 December 2016

905


आज बाजार मे देखा ,
कुछ नादान बच्चे सब्जी बेच रहे थे !
मैने पूछा पालक है क्या ?
बच्चो का जवाब सुनकर मेरा मन भर आया . . .
बोले " पालक " होते तो क्या सब्जी बेचते...?

904


मानों तो एक
" रूह का रिश्ता " है
हम सभी का...
ना मानों तो
" कौन "  क्या  " लगता " है
किसी का . . .।

903


आज तो हजारो वादें कर रहे हो
मुझे पाने के लिए...,
कल एक बहाना ही काफी होगा
मुझे छोड़ जाने के लिए . . . ! ! !

902


वो कहते है...
तुम दिल से नही सोंचते;
दिल तो उनके पास है...
ये वो क्यों नही सोंचते...!

901


एक दरवाजा क्या खुला मुझमे,
फिर तो हर कोई आ बसा मुझमे...

900


सच का इंतिहान
कर लिया हमने
फरेब को सच
मानते मानते.......

899


अब खुद से मिलने को
मन करता है,
लोगों से सुना है कि
बहुत बुरे हैं हम.......

898


नफरत को हम प्यार देते है,
प्यार पे खुशियाँ वार देते है,
बहुत सोच समझकर हमसे
कोई वादा करना,
ऐ दोस्त हम वादे पर जिदंगी
गुजार देते है...

28 December 2016

897


बहूत नज़दीक आते जा रहे हो
आजकल तुम..!!
क्या वाकई बिछड़ने का इरादा
कर लिया है तुमने ?

896


यूँ तो ये गिलास,
कितना छोटा है...
पर न जाने कितनी बोतलें,
पी गया होगा...

27 December 2016

895


ना तोल मेरी मोहब्बत
अपनी दिल्लगी से,
देख कर मेरी चाहत को
अक्सर तराजू टूट जाते है...!

894


अगर ना  होता बरबादी का गम
अफसाने कहा जाते,
दुनिया होती चमन तो वीराने कहा जाते...
अच्छा हुआ अपनो मे कोई तो गैर निकला,
सभी होते अपने तो बेगाने कहा जाते.

893


तुझे याद करना भी अब,
दिल का धडकना सा बन गया है... 
पता नही जिंदगी सांसो से चल रही है,
या तेरी यादों से...

892


उसने हर नशा सामने लाकर रख दिया
और कहा...
सबसे बुरी लत कौनसी है...
मैंने कहा
तेरे प्यार की...

891


मुझे रिश्तो की
लंबी कतारोँ से मतलब नही ,
कोई दिल से हो मेरा,
तो एक शख्स ही काफी है…।

26 December 2016

890


कितना मुश्किल है
मनाना उस शख्स को ..
जो रूठा भी ना हो और बात
भी ना करे … !

889


मैने कभी नहीं कहा,
की तू भी मुझे बेपनाह प्यार कर...,
बस इतनी सी ख्वाहिश है,
मेरी की "तू मुझे महसूस कर."

888


मेरी महोब्बत बेजुबा होती रही
दिल की धडकनें अपना वजुद खोती रही,
कोई नहीं आया मेरे दु:ख में करीब
एक बारिश थी जो मेरे साथ रोती रहीं |

887


यादों की किम्मत वो क्या जाने;
जो ख़ुद यादों को मिटा दिए करते हैं,
यादों का मतलब तो उनसे पूछो जो,
यादों के सहारे जिया करते हैं . . . !

886


वो बक्त कुछ और था जब सब से,
तेरी ही बातें होती थी...
आज तेरा कोई नाम भी ले तो हम बात,
बदल देते है.......