1 October 2019

4806 - 4810 ज़िन्दगी खुदगर्ज गुनाह मोहब्बत ऐतबार एहसान फ़ना महफूज़ कबूल शायरी


4806
ज़िन्दगी कभी भी ले सकती हैं करवट,
तू गुमां कर...
बुलंदियाँ छू हजार मगर...
उसके लिए कोई 'गुनाह'  कर...!

4807
इतनी मोहब्बत ना सीखा खुदा...
तुझसे ज्यादा उसपर ऐतबार हो जाये;
दिल तोड़कर जाये वो मेरा...
और तू गुनाहगार हो जाये.......

4808
ख़ुदाकी मोहब्बतको फ़ना कौन करेगा,
सभी बन्दे नेक हों तो गुनाह कौन करेगा...
ख़ुदा मेरे दोस्तोंको सलामत रखना,
वरना मेरी सलामतीकी दुआ कौन करेगा...
और रखना मेरे दुश्मनोंको भी महफूज़,
वरना मेरी तेरे पास आनेकी दुआ कौन करेगा...!

4809
हर गुनाह,
कबूल है हमें...
बस सजा देने वाला,
बेगुनाह हो.......!

4810
खुदगर्जकी बस्तीमें,
एहसान भी एक गुनाह हैं...
जिसे तैरना सिखाया,
वही डुबानेको तैयार रहता हैं...

30 September 2019

4801 - 4805 इश्क़ ख़्वाहिश ज़िंदगी मोहब्बत गुनाह ख्याल सफ़र बेहिसाब शायरी


4801
गुनाहे इश्क़में,
इक वो दौर भी बहुत खास रहा...
मेरा ना होकर भी,
तू मेरे बहुत पास रहा...!

4802
लिखनेको तो हम, 
आधा इश्क़ लिख दे...
क्यों कि,
तुम बिन पूरा संभव ही नहीं हैं...

4803
किसीके इश्क़का,
ख्याल थे हम भी...
बड़े दिनोंतक बहुत,
अमीर थे हम भी...!

4804
तलब कहूँ,
ख़्वाहिश कहूँ, 
या कहूँ इश्क़...
तुम्हें जो भी हैं,
‘तुमसे तुम’ तक का,
ये सफ़र ज़िंदगी है मेरी...!

4805
पहले इश्क़को आग होने दीजिए...
फिर दिलको राख होने दीजिए...
तब जाकर पकेगी बेपनाह मोहब्बत...
जो भी हो रहा हैं बेहिसाब होने दीजिए...
सजाएं मुकर्रर करना इत्मिनानसे...
मगर पहले कोई गुनाह तो होने दीजिए...!

29 September 2019

4796 - 4800 इश्क़ पनाह लब आँख नज़रें नशा नजरअंदाज सजा शायरी


4796
इश्क़के चाँदको,
अपनी पनाहमें रहने दो... 
आज लबोंको ना खोलो,
बस आँखोंको कहने दो...!

4797
नज़रें बचाके सबसे,
जब जब आप सँवरने लगे...!
आईना भी जान गया,
आप भी इश्क़ करने लगे...!!!

4798
इश्क़से नशीला,
कोई नशा नहीं है जनाब... 
घूँट-घूँट-पीते हैं और,
कतरा कतरा मरते हैं.......

4799
सुनो ना.......
तन्हा क्या इश्क़ करोगे...?
आओ,
थोड़ा थोड़ा मिलकर कर लेते हैं...!

4800
ये तेरी हल्की सी नजरअंदाजी,
और थोड़ासा इश्क़...
ये तो बता,
ये मजा--इश्क़ है या सजा--इश्क़...

27 September 2019

4791 - 4795 दिल जहाँ बेवफ़ाई ग़म आफ़त रंग मोहब्बत इश्क़ शायरी


4791
चलते थे इस जहाँमें कभी,
सीना तानके हम...
ये कम्बख्त इश्क़ क्या हुआ,
घुटनोपे गए हम.......

4792
ज़िंदा हैं तो बस,
तेरे इश्क़के रहमो करम पर...
मर गए तो समझ लेना,
तेरी बेवफ़ाईमें दम था...!

4793
इश्क होनेके, 
सिर्फ दो तरीके थे...
या दिल बना होता, 
या वो बने होते...!

4794
इक इश्क़का ग़म आफ़त,
और उसपे ये दिल आफ़त...
या ग़म ना दिया होता,
या दिल ना दिया होता...!

4795
रंग देंगे तुझे, अपनी...
मोहब्बतके रंगमें होलीपर...
ये जो इश्क़का महीना,
बीत गया तो क्या हुआ...!

4786 - 4790 दिल मोहब्बत खूबसूरत पैगाम नाम मौत रूह रिश्ता इश्क़ शायरी


4786
मोहब्बतके लिए,
खूबसूरत होनेकी कैसी शर्त...
इश्क़ हो जाए तो,
सब कुछ खूबसूरत लगने लगता हैं...!

4787
मुद्दतों बाद इक,
खत चला हैं मेरे नामसे,
किसीने पैगाम--इश्क़ भेजा हैं,
मेरे नामसे.......!

4788
इश्क़को हमने जो दिल दिया हैं,
उसका दाम हमारी ही मौत हैं !
जो इश्क़को देनेकी गुजारिश हैं...!

4789
मुनासिब समझो तो,
"मौत" ही दे दो... इश्क़...
"दिल" जो दिया हैं,
इतना दाम तो बनता हैं मेरा...

4790
इश्क़के धागेसे,
बांधा ही नहीं मैने उन्हें...
रूहके हर रेशेसे जुड़ा हैं,
उनका मेरा रिश्ता...!

25 September 2019

4781 - 4785 दिल दुनिया घायल जुनून हिज्र नसीब शक तबाह दवा कर्ज बोझ इश्क़ शायरी


4781
इश्क़की दुनियाके कायल सब हैं,
कोई कह देता है कोई छिपा लेता हैं...
मगर;
घायल सब हैं.......!

4782
वो जो इश्क़ हैं,
वही मेरा जुनून हैं...
ये जो हिज्र हैं,
ये मेरा नसीब हैं.......!

4783
राते सुर्फ सर्दियोंमें ही,
लंबी नहीं होती जनाब...
किसीको शक हैं तो,
इश्क़ करके देख लो...

4784
तबाह होके भी,
तबाही दिखती नहीं...!
ये इश्क़ हैं हुज़ूर,
इसकी दवाई बिकती नहीं...!!!

4785
कर्ज होता...
तो उतार भी देते...
कमबख्त इश्क़ था,
दिलपर बोझ ही रहा...!

4776 - 4780 आज़ाद रूखसार इजाजत लब मोहब्बत सजदा बात काबिल दुश्मनी इश्क़ शायरी


4776
इश्क़ और मेरी,
बनती हीं साहब...
वो ग़ुलामी चाहता हैं और,
हम बचपनसे आज़ाद हैं...!

4777
देखते हैं अब,
क्या मुकाम आता हैं साहब...
सूखे पत्तेको इश्क़ हुआ हैं,
बहती हवासे.......

4778
आजान--इश्क़ देती हैं,
तेरे रूखसारकी मस्जिद...!
गर हो इजाजत तो तेरे लबोंपर,
मोहब्बतका सजदा कर लुँ...!!!

4779
ये अलग बात हैं कि,
वो मुझे हासिल नहीं हैं...
मगर उसके सिवाय कोई मेरे,
इश्क़के काबिल हीं हैं...!

4780
इश्क़ तू मुझे जरा,
एक बात तो बता...
तू सबको आजमाता हैं,
या तेरी सिर्फ मुझसे दुश्मनी हैं...?

24 September 2019

4771 - 4775 मोहब्बत उम्र कमाल बाज़ी डर जीत इंतज़ार नासमझी खिलोना इश्क़ शायरी


4771
कच्ची उम्रके उफानोमें,
जो बहे जाए वो इश्क़ क्या...
जुर्रियोंमें भी खिलखिलाए,
वो इश्क़ कमाल होता हैं...!

4772
हिलाकर रख देता हैं,
इंसानकी बुनियाद;
कम्बख्त़ इश्क़ भी किसी,
ज़ल ज़लेसे कम नहीं...!

4773
गर बाज़ी इश्क़की बाज़ी हैं,
जो चाहो लगा दो, डर कैसा...
गर जीत गए तो क्या कहना,
हारे भी तो बाज़ी मात नहीं...

4774
मोहब्बत.......
सब्रके अलावा कुछ हीं,
मैने हर इश्क़को,
इंतज़ार करते देखा हैं...!

4775
इश्क़की नासमझीमें,
सब कुछ गवा बैठा...
उसे खिलोनोकी जरूरत थी,
मैं अपना दिल उसे दे बैठा...

22 September 2019

4766 - 4770 जिंदगी सजदा किताब जरूरतें मोहब्बत इश्क़ शायरी


4766
मनको समझाया था मैने,
इस इश्क़-विश्क़से दूर रहो;
पर ये मन, मन ही मनमें,
अपनी "मनमानी" कर बैठा...!

4767
इश्क़की किताबका,
उसुल हैं जनाब...
मुड़कर देखोगे,
तो मोहब्बत मानी जाएगी...!

4768
इश्क़ वो नहीं,
जो तुझे मेरा कर दे...
इश्क़ वो हैं जो तुझे,
किसी और का ना होने दे...!

4769
इश्क़ क्या,
जिंदगी देगा किसीको...?
ये तो शुरू ही,
किसीपर मरनेसे होता हैं...!

4770
ये तो अपनी अपनी जरूरतें,
सजदा करवाती हैं साहब...
वर्ना इश्क़ और खुदामें आज तक,
खुदाको किसने चुना हैं.......?

21 September 2019

4761 - 4765 मीठा हिसाब इक़रार इंतज़ार दूरियाँ वजह लफ़्ज़ तक़ल्लुफ़ इश्क़ शायरी


4761
"इश्क़"
वो नीमकी डाली हैं,
जिसका नया पत्ता ही,
"मीठा" लगता हैं...

4762
अलग ही होता हैं,
'इश्क़' का हिसाब...
जहां "तुम और मैं दो नहीं",
"एक" होते हैं.......!

4763
जो जीनेकी वजह हैं,
तेरा इश्क़...!
जो जीने नहीं देता,
वो भी हैं तेरा इश्क़...!!!

4764
चंद लफ़्ज़ोंकी तक़ल्लुफ़में,
ये इश्क़ रुक गया...
वो इक़रारपे रुके रहे,
और मैं इंतज़ारपे रुक गया...!

4765
जो दूरियोंमें भी कायम रहा,
वो इश्क़ ही कुछ और था...!