9 April 2017

1198


फिर वो दानिस्ता ठोकर खाईये,
फिर मेरी आगोश मे खो जाईये,
ये हवा, सागर ये हलकी चांदनी,
जीमें आता है, यही मर जाईये...

1197


तारीखों में बंध गया है अब,
इजहार ए मोहब्बत भी।। 
रोज प्यार जताने की,
अब किसी को फुर्सत कहां।।

1196


फिर करीब से कुछ चेहरे पढ़े...
और न जाने कितने सबक सीख लिए।

7 April 2017

1195


आफत है तेरे खत के बिखरे हुवे टुकड़े,
रख्खे भी नहीं जाते फेंके भी नहीं जाते
वक्त गुज़र गया झुलसके गुलाब की पंखुडिंयोंको देखते,
पर उसके खुश्बु की महेक
आज भी दिल से नही उतरती

किसी इत्र की दराज़ से.......

1194


आधे से कुछ ज़्यादा है .......
पूरे से कुछ कम.....
कुछ जिन्दगी...
कुछ ग़म …....
कुछ इश्क.....
कुछ हम…

1193


धडकनो की यही तो खास बात है...
उनका दीदार हो बस.......
भरे बाजार में भी ,
साफ़ सुनाई पडती है…….

1192


उसके जीवन का हर फैसला,
मेरे लिए अनमोल था, क्योंकि...
उसने हर फैसले में सिर्फ एक ही लफ्ज कहा,
"जैसा तुम कहो"

1191


जिन्दगी जरूरतों का नाम है,
ख्वाहिशों का नहीं...
जरूरत फ़कीरों की भी पूरी हो जाती है ;
ख्वाहिशों बादशाहों की भी अधुरी रह जाती हैं...!

4 April 2017

1190


प्यार में कोई तो दिल तोड़ देता है...
दोस्ती मेँ कोई तो भरोसा तोड़ देता है...
जिंदगी जीना तो कोई
गुलाब से सीखे.....

जो खुद टूट कर...
दो दिलों को जोड़ देता है !!!

1189


मशवरा तो खूब देते हो
"खुश रहा करो"

कभी कभी वजह भी
बन जाया करो…!

1188


न दवा न दुआ
यह मोहब्बत है मेरे यार ...
इसमे भूलते नही ...
रोजाना मरते है हजार बार ।

1187


हमे पता है,
तुम मुसाफीर कही और के हो,

हमारा शहर तो,
युही बीच रास्ते मे गया था।

1186


हकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता है ...
शिकायत करो तो उनको मजाक लगता है
कितने सिद्दत से उन्हें याद करते है हम …....

और एक वो है … जिन्हें ये सब इत्तेफाक लगता है……

1185 जिंदगी कबूल शायरी


तू सचमुच जुड़ा है,
गर मेरी जिंदगीके साथ...
तो कबूल कर मुझको,
मेरी हर कमीके साथ !!!

1184


अनदेखे धागे मे
बांध गया कोई
कि वो साथ भी नही और
हम आजाद भी नही।

1183


दिल तो करता है के मै
खरीद लु ये तेरी तन्हाई,

पर अफसोस मेरे पास खुद
तन्हाई के सिवा कुछ नहीं . . . !

3 April 2017

1182


वाह् फ़राज़ बड़ी जल्दी
खयाल आया हमारा।
बस भी करो अब चूमना.......

उठने भी दो अब जनाजा मेरा.......

1181


मुद्दतें हो गयी कोई शख्स तो अब
ऐसा मिले फ़राज़।
बाहर से जो दिखता हो...

अंदर भी वैसा ही मिले...

1180


उससे खफा होकर भी देखेंगे
एक् दिन फ़राज़।
के उसके मनाने का
अंदाज कैसा है.......

1179


वजह पूछने का तो
मौका ही नहीं मिला फ़राज़।
वो लहेजा बदलते गए और

हम अजनबी होते गए.......