19 April 2018

2621 - 2625 दिल जिंदगी वजह शतरंज लफ़्ज़ एहसास नाम होठ साँस वक़्त तमन्ना आशिक़ बंदगी काफ़िर याद शायरी


2621
जरा ठहर जिंदगी...
तुझे भी सुलझा दुंगा...!
पहले उसे तो मना लूँ...
जिसकी वजहसे तू उलझी हैं...!!!


2622
शायरी भी एक खेल हैं शतरंजका...
जिसमे लफ़्ज़ोंके मोहरे
मात दिया करते हैं...
एहसासोंको.......

2623
कभी काग़ज़पें लिखा था,
आपका नाम अनजानेमें;
उससे बेहतर नज़्म,
फिर कभी लिख नहीं पाए !!!

2624
होठोंको छूआ उसने,
एहसास अबतक हैं
आँखोंमें नमी और,
साँसोंमें आग अबतक हैं
वक़्त गुज़र गया पर,
याद उसकी अब तक हैं

2625
यूँ तो तमन्नाएं दिलमें ना थी हमें लेकिन;
ना जाने तुझे देखकर क्यों आशिक़ बन बैठे;
बंदगी तो खुदाकी भी करते थे लेकिन;
ना जाने क्यों हम काफ़िर बन बैठे।

18 April 2018

2616 - 2620 साँस ख़ामोशी मुश्किल कस्तूरी लकीर दर्द वक़्त एहसास खिलवाड़ शायरी


2616
"उसने मुझसे पुछा,
मेरे बिना रह लोगे ?
साँस रुक गई और,
उन्हें लगा हम सोच रहे हैं..."

2617
ऐसा नहीं कि,
कहनेको कुछ नहीं बाकी,
मैं बस देख रहा हूँ,
क्या ख़ामोशी भी समझते हैं सुनने वाले !!!

2618
जंगल जंगल ढूंढ रहा...
मृग अपनी ही कस्तूरीको ,
कितना मुश्किल हैं तय करना...
खुदसे खुदकी दुरीको...!!!

2619
लोग कहते हैं,
होना तो वहीं हैं...
जो मुक्कदरमें लिखा हैं !
फिर भी मैं रोज़...
हाथोकी लकीरोंसे खिलवाड़ करता हूँ... ।।

2620
दर्द बयाँ करना हैं,
तो शायरीसे कीजिये...
जनाब.......
लोगोंके पास वक़्त कहाँ ?
एहसासोंको सुननेका...!

16 April 2018

2611 - 2615 जिन्दगी तकदीर सिलसिले वक़्त नमक शहद शौक आरजू कोशिश तमन्ना सपने गम तकदीर शीशा तस्वीर शायरी


2611
अपनी तकदीरमें तो कुछ...
ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं;
किसीने वक़्त गुजारनेके लिए...
अपना बनाया;
तो किसीने अपना बनाकर...
'वक़्त' गुजार लिया!

2612
कभी नीमसी जिंदगी
कभी नमकसी जिंदगी 

ढूँढते रहे उम्रभर,
एक शहदसी जिन्दगी...

ना शौक बङा दिखनेका,
ना तमन्ना भगवान होनेकी...

बस आरजू जन्म सफल हो,
कोशिश इंसान होनेकी...

2613
फूल बनकर मुस्कुराना जिन्दगी हैं,
मुस्कुराके गम भूलाना जिन्दगी हैं,
मिलकर लोग खुश होते हैं तो क्या हुआ,
बिना मिले दोस्ती निभाना भी जिन्दगी हैं l

2614
बिखरी पडी थी किरचे चाँदकी,
कल रात मेरे आँगनमें;
मैने हौले हौलेसे उठाकर जूडेमें सजा ली,
रात तो आती ही हैं ना सपने सजानेके लिए...

2615
गम ना कर दोस्त,
तकदीर बदलती रहती हैं,
शीशा शीशा ही रहता हैं,
तस्वीर बदलती रहती हैं !!!

2606 - 2610 दिल प्यार इश्क मोहोब्बत जिन्दगी खुशबू नज़र फ़िज़ा शामिल वफ़ा ताजमहल शायरी


2606
नज़रसे दूर हैं फिर भी फ़िज़ामें शामिल हैं,
की तेरे प्यारकी खुशबू हवामें शामिल हैं l
हम चाहकर भी तेरे पास नहीं सकते,
की दूर रहना भी मेरी वफ़ामें शामिल हैं l
ख़ज़ाने गमके मेरे दिलमें दफन हैं यारों,
ये मुस्कुराना तो मेरी अदामें शामिल हैं...!

2607
कैसे करू मैं साबित की
तुम याद आते बहुत हो...
एहसास तुम समझते नही,
अदाएं हमे आती नहीं.......

2608
मोहोब्बत आजमानी हैं,
तो बस्स इतनाही काफी हैं,
जरासा रूठकर तो देखो,
मनाने कौन आता हैं !

2609
ये लकीरें, ये नसीब, ये किस्मत...
सब फ़रेबके आईनें हैं,
हाथोंमें तेरा हाथ होनेसे ही,
मुकम्मल जिन्दगीके मायने हैं !!!

2610
सिर्फ इशारोंमें होती मोहोब्बत अगर,
इन अलफाजोंको खुबसूरती कौन देता,
बस पत्थर बनके रह जाताताजमहल
अगर इश्क इसे अपनी पहचान ना देता...!

11 April 2018

2601 - 2605 मुकद्दर बात नाम याद सुकून साहिल मजबूर किनारा लहर कसूर नज़र नाराज़ शिकायत शायरी


2601
तू मिले या ना मिले,
ये मुकद्दरकी बात हैं;
पर सुकून बहुत मिलता हैं,
तुझे अपना सोचकर...!

2602
यूँ तो कोई शिकायत नहीं,
मुझे मेरे आजसे,
मगर कभी-कभी बीता हुआ कल,
बहुत याद आता हैं.......

2603
साहिलपें बैठे यूँ सोचता हूँ मैं आज,
कौन ज्यादा मजबूर हैं...
ये किनारा जो चल नहीं सकता या,
या वो लहर जो ठहर नहीं सकती ?

2604
कसूर मेरा था,
तो कसूर उनका भी था,
नज़र हमने जो उठाई थी,
तो वो झुका भी सकते थे...

2605
नाराज़ ना होना कभी यह सोचकर क़ि...
काम मेरा और नाम किसी औरका हो रहा हैं
यहाँ सदियोंसे जलते तो "घी" और "बाती" हैं...
पर लोग कहते हैं कि 'दीपक' जल रहा हैं 

10 April 2018

2596 - 2600 मोहब्बत प्यार कश्मकश रहमत ख्वाब मुकम्मल चीज़ तक़दीर बात खुशियाँ शख्स शायरी


2596
बड़ी कश्मकश हैं मौला,
थोड़ी रहमत कर दे,
या तो ख्वाब दिखा,
या उसे मुकम्मल कर दे.......

2597
मुस्कुरानेसे शुरू और
रुलानेपें खतम...
ये वो जुल्म हैं जिसे लोग...
मोहब्बत कहते हैं.......

2598
जिस चीज़पें तू हाथ रखे,
वो चीज़ तेरी हो !
और जिससे तू प्यार करे,
वो तक़दीर मेरी हो.......

2599
कोई ना दे हमें खुश रहनेकी दुआ,
तो भी कोई बात नहीं,
वैसे भी हम खुशियाँ रखते नहीं,
बाँट दिया करते हैं.......!!!

2600
हज़ारोमें मुझे सिर्फ़,
एक वो शख्स चाहिये,
जो मेरी ग़ैर मौजूदगीमें,
मेरी बुराई ना सुन सके...!

9 April 2018

2591 - 2595 जख्म निशां आदत आँख बेशक समझ याद मुकाबला रूह लब्ज साथ जीना शायरी


2591
जाने कितनी अजिय्यतसे,
खुद गुजरता हैं,
ये जख्म तब कहीं जाकर,
निशां बनाता हैं !!!

2592
मुझे रुला कर सोना तो
तेरी आदत बन गई हैं,
जिस दिन मेरी आँख ना खुली...
बेशक तुझे नींदसे नफरत हो जायेगी.......

2593
उस रातसे हमने,
सोना ही छोड़ दिया यारो...
जिस रात उसने हांके,
सुबह आँ खुलते ही मुझे भूल जाना...

2594
"बादलोंसे कह दो...
जरा सोच समझकर बरसे,
अगर मुझे उसकी याद गयी;
तो मुकाबला बराबरीका होगा..."

2595
मेरी रूहको छू लेनेके लिए,
बस कुछ लब्ज ही काफी हैं;
कह दो बस इतना ही के,
तेरे साथ जीना अभी बाकि हैं...!

8 April 2018

2586 - 2590 दिल भूल वक्त शिकवा बेरुखी लम्हा साँस याद शौक ज़लील अज़ब तमाशा शिकायत शायरी


2586
तुम थे तो,
वक्त रुकता ही नहीं था,
अब ये वक्त गुजरनेके लिए भी,
बहुत वक्त लगता हैं !

2587
नहीं हैं शिकवा,
तेरी बेरुखीका....
शायद मुझे ही तेरे दिलमें,
घर बनाना नहीं आया.......

2588
मुझे भी सिखा दो,
"भूल" जानेका हुनर...
मैं थक गया हूँ हर लम्हा, हर साँस,
तुम्हें याद करते करते.......

2589
नहीं रहा जाता तेरे बिना...
इसीलिए तेरे पास आते हैं...
वरना हमे भी कोई शौक नहीं हैं;
बार बार ज़लील होनेका.......

2590
वो सामने आये तो,
अज़ब तमाशा हुआ...
हर शिकायतने जैसे,
 शिकायतकर ली।

2581 - 2585 दिल मोहब्बत धड़कन मौत पसंद याद जायदाद नसीब करीब अधूरी रिश्ते पल हथेली शायरी


2581
ये जो तुम्हारी याद हैं ना...
बस यहीं एक मेरी जायदाद हैं...!

2582
नसीब आजमानेके दिन रहे हैं,
करीब तेरे आनेके दिन रहे हैं...

2583
मोहब्बतें अधूरी रह जाती हैं...!
तभी तो शायरियाँ पूरी होती हैं...!!!

2584
रिश्ते काँचकी तरह होते हैं,
टूटे जाए तो चुभते हैं;
इन्हे संभालकर हथेलीपर सजना,
क्योकि इन्हे टूटनेमें एक पल,
और बनानेमें बरसो लग जाते हैं...!

2585
मोहब्बत और मौत दोनोंकी पसंद,
अजीब हैं...
एकको दिल चाहिए
और दूसरेको धड़कन.......!

7 April 2018

2576 - 2580 दिल दुनियाँ मोहब्बत लम्हा रूह उदास महक चेहरे याद वक़्त पाकीज़ा निगाह फितूर आईना ग़ुरूर शायरी


2576
चलो... दिलकी अदलाबदली करलें...
तड़प क्या होती हैं...
खुद समझ जाओगे...!

2577
तुझसे गुज़रकर मुझतक,
जो एक हसीं लम्हा आया हैं...
उदास पड़ी थी रूह मेरी,
इसने उसको महकाया हैं !!!

2578
कितने चेहरे हैं इस दुनियाँमें;
मगर हमको एक चेहरा ही नज़र आता हैं;
दुनियाँको हम क्या देखें;
उसकी यादोंमें सारा वक़्त गुजर जाता हैं...

2579
कसूर ना उनका था ना हमारा;
हम दोनों ही रिश्तोंकी रसम निभाते रहे;
वो दोस्तीका एहसास जताते रहे;
और हम मोहब्बतको दिलमें छुपाते रहे

2580
तेरी पाकीज़ा निगाहोंमें,
फितूर जाएगा...
आईना मत देख,
तुझमें भी ग़ुरूर जाएगा !