16 April 2018

2606 - 2610 दिल प्यार इश्क मोहोब्बत जिन्दगी खुशबू नज़र फ़िज़ा शामिल वफ़ा ताजमहल शायरी


2606
नज़रसे दूर हैं फिर भी फ़िज़ामें शामिल हैं,
की तेरे प्यारकी खुशबू हवामें शामिल हैं l
हम चाहकर भी तेरे पास नहीं सकते,
की दूर रहना भी मेरी वफ़ामें शामिल हैं l
ख़ज़ाने गमके मेरे दिलमें दफन हैं यारों,
ये मुस्कुराना तो मेरी अदामें शामिल हैं...!

2607
कैसे करू मैं साबित की
तुम याद आते बहुत हो...
एहसास तुम समझते नही,
अदाएं हमे आती नहीं.......

2608
मोहोब्बत आजमानी हैं,
तो बस्स इतनाही काफी हैं,
जरासा रूठकर तो देखो,
मनाने कौन आता हैं !

2609
ये लकीरें, ये नसीब, ये किस्मत...
सब फ़रेबके आईनें हैं,
हाथोंमें तेरा हाथ होनेसे ही,
मुकम्मल जिन्दगीके मायने हैं !!!

2610
सिर्फ इशारोंमें होती मोहोब्बत अगर,
इन अलफाजोंको खुबसूरती कौन देता,
बस पत्थर बनके रह जाताताजमहल
अगर इश्क इसे अपनी पहचान ना देता...!

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