6 April 2018

2571 - 2575 दिल प्यार मोहाब्बत पैगाम उदास आँख एहसास मंजर बेनूर फिजा याद मौसम सुहाना जुर्म शायरी


2571
कभी कभी दिल उदास होता हैं,
हल्का हल्कासा आँखोंको एहसास होता हैं,
छलकती हैं मेरी भी आँखोंसे नमी,
जब तुम्हारे दूर होनेका एहसास होता हैं l

2572
मंजर भी बेनूर थे और,
फिजायें भी बेरंग थी,
बस तुम याद आए और...
मौसम सुहाना हो गया !

2573
हादसों के गवाह हम भी हैं,
अपने दिलसे तबाह हम भी हैं,
जुर्मके बिना सजा-ए-मौत मिली,
ऐसे ही एक बेगुनाह हम भी हैं...!

2574
गुलाब मोहाब्बतका पैगाम नहीं होता,
चाँद चांदनीका प्यार सरे आम नहीं होता,
प्यार होता हैं मनकी निर्मल भावनाओंसे,
वरना यूँ ही राधा-कृष्णका नाम नहीं हो...

2575
तुम देखते रहना यूँ ही,
मुझको ... आँखें भरभरके.......
हम दिवाने हुए...
तेरी इस मोहाब्बतके.......!

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