1 April 2018

2551 - 2555 दिल मोहोब्बत लफ्ज़ ख्याल सोच मन्नत धडकन ताबीज आराम दीदार ज़िक्र सजदे फर्क हद शायरी


2551
लिख दूँ तो लफ्ज़ तुम हो,
सोचलू तो ख्याल तुम हो,
मांगलू तो मन्नत तुम हो,
और चाह लू तो मोहोब्बत भी तुम ही हो...

2552
वैसे तो ठीक रहूँगा,
मैं उससे बिछडके...
बस दिलकी सोचता हूँ,
धडकना छोड दे.......

2553
सारे ताबीज गलेमें,
पहनकर देख लिए;
आराम तो बस,
तेरे दीदारसे ही मिला !

2554
तेरा हुआ ज़िक्र तो...
हम तेरे सजदेमें झुक गये,
अब क्या फर्क पड़ता हैं...
मंदिरमें झुक गये,
या मस्जिदमें झुक गये !!!

2555
वो जिसके लिए हमने,
सारी हदें तोड दी,
आज उसने कह दिया,
अपनी हदमें रहा करो...

No comments:

Post a Comment