31 March 2018

2546 - 2550 चिराग आजमा मुस्कुराहट अल्फ़ाज़ गहरी ख़ामोशी तन्हा आँसू हुनर जज्बात दफन बात ख़ामोशी नाराज़ अन्दाज़ शायरी


2546
हवासे कह दो कि...
खुदको आजमाके दिखाये;
बहुत चिराग बुझाती हैं,
एक जलाके दिखाये...

2547
मुस्कुराहटें झूठी भी,
हुआ करती हैं यारों...
इंसानको देखना नहीं...
बस समझना सीखो....... !!!

2548
अल्फ़ाज़के कुछ तो,
कंकर फ़ेंको...
यहां झीलसी गहरी,
ख़ामोशी हैं.......

2549
तन्हा आँसू बहानेका,
हुनर सबके पास नहीं होता;
जज्बात दफन करने पडते हैं,
किसी अपनेकी खातिर...।

2550
तेरी हर बात,
ख़ामोशीसे मान लेना,
यह भी अन्दाज़ हैं,
मेरी नाराज़गीका...!

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