2546
हवासे कह दो कि...
खुदको आजमाके दिखाये;
बहुत चिराग बुझाती हैं,
एक जलाके दिखाये...
2547
मुस्कुराहटें झूठी भी,
हुआ करती हैं यारों...
इंसानको देखना नहीं...
बस समझना सीखो....... !!!
2548
मेरे क़ाबिल दोस्तों.........
दोस्तोंसे रिश्ता रख़ा क़रो ज़नाब,
तबियत मस्त रहेग़ी !
ये वो हक़ीम हैं,
ज़ो अल्फ़ाज़से इलाज़ क़र दिया क़रते हैं !!!
2549
इसी ख़यालसे,
पलक़ोंपें रुक़ ग़ए आँसू ।
तिरी निग़ाहक़ो शायद,
सुबूत-ए-ग़म न मिले ।।
वसीम बरेलवी
2550
क़ैसे मुमक़िन हैं,
ख़ामोशीसे फ़ना हो ज़ाऊँ...
क़ोई पत्थर तो नहीं हूँ,
क़ि ख़ुदा हो ज़ाऊँ...!
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