2461
"शामके
बाद मिलती हैं रात,
हर बातमें
समाई हुई हैं तेरी याद...
बहुत तनहा होती
ये जिंदगी,
अगर नहीं मिलता
जो आपका साथ l"
2462
गलतफअमीके सिलसिले
आज इतने दिलचस्प
हैं,
कि हर ईट
सोचती
दीवार मुझपे टिकी हैं ll
गुलज़ार
2463
ज़िंदगी उसीको
आज़माती हैं,
जो हर मोड़पर
चलना जानता हैं...
कुछ पाकर तो
हर कोई मुस्कुराता
हैं,
ज़िंदगी
उसीकी होती
हैं,
जो सब
खोकर भी मुस्कुराना जानता हैं !
2464
किसी नन्हे बच्चेकी
मुस्कान देखकर ,
कविने क्या खूब
लिखा हैं ...
दौड़ने दो खुले
मैदानोंमें ,
इन नन्हें कदमोंको
जनाब...
जिंदगी बहुत तेज
भगाती हैं ,
बचपन गुजर जानेके बाद.......!
2465
कितने बरसोंका सफर,
यूँ ही ख़ाक
हुआ ;
जब उन्होंने कहां,
“कहो..., कैसे आना
हुआ ?”
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