13 March 2018

2471 - 2475 इश्क महोब्बत दिल गम तंग खिलौना अदांज बरस खामोश तरस दुनियाँ मतलबी धोखा बात शायरी


2471
ना तंग करो इतना, हम सताऐ हुऐ हैं,
महोब्बतका गम दिलपें उठाऐ हुऐ हैं,
खिलौना समझकर हमसे ना खेलो,
हम भी उसी खुदाके बनाऐ हुऐ हैं 

2472
हमारा अदांज ही कुछ ऐसा हैं कि
हम बोलते हैं तो बरस जाते हैं !
और.......
खामोश रहते हैं तो लोग तरस जाते हैं ...!

2473
बहुत थे मेरे भी
इस दुनियाँमें अपने,
फिर हुआ इश्क और
हम लावारिस हो गए।

2474
इश्कभी अजीब होता हैं
अपनोको खोकर मीलता हैं
फिर भी इश्कमें मे ही इन्सान जिता हैं
तभी तो उसे इश्क कहते हैं

2475
हम उनके जैसे मतलबी और धोखेबाज़ नहीं हैं,
जो की चाहनेवालोको धोखा दे,
बस वो ये समझ ले
की हमें समझना हर किसीके बसकी बात नहीं.....

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