2471
ना तंग करो
इतना, हम सताऐ
हुऐ हैं,
महोब्बतका गम दिलपें उठाऐ हुऐ
हैं,
खिलौना समझकर
हमसे ना
खेलो,
हम भी उसी
खुदाके बनाऐ
हुऐ हैं ।।
2472
हमारा अदांज ही कुछ
ऐसा हैं कि
हम बोलते हैं तो बरस जाते हैं !
और.......
खामोश रहते हैं तो लोग तरस
जाते हैं ...!
2473
बहुत थे मेरे
भी
इस दुनियाँमें अपने,
फिर हुआ इश्क
और
हम लावारिस
हो गए।
2474
इश्कभी अजीब
होता हैं।
अपनोको
खोकर मीलता हैं।
फिर भी इश्कमें
मे ही इन्सान जिता हैं।
तभी तो उसे
इश्क कहते हैं।
2475
हम उनके जैसे
मतलबी और धोखेबाज़ नहीं हैं,
जो की चाहनेवालोको धोखा
दे,
बस वो ये समझ ले
की हमें समझना
हर किसीके
बसकी बात
नहीं.....
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