23 March 2018

2521 - 2525 ज़िन्दगी खुशियाँ उम्र एहसास कायनात मुश्किल शख्स लिबास खंजर क़त्ल मसला दर्द परवाह नज़र अंदाज बर्दाश्त शायरी


2521
खुशियाँ बटोरते बटोरते उम्र गुजर गई ,
पर खुश ना हो सके,
एक दिन एहसास हुआ ,
खुश तो वो लोग थे जो खुशियाँ बांट रहे थे!

2522
कहाँ मांग ली थी कायनात
जो इतनी मुश्किल हुई--खुदा...
सिसकते हुए शब्दोंमें बस एक,
शख्स ही तो मांगा था...!!!

2523
लिबासपें छींटें,
खंजरपें कोई दाग,
तुम क़त्ल करते हो,
या कोई करामात.......

2524
मसला यह नहीं की,
मेरा दर्द कितना हैं...
मुद्दा ये हैं कि,
तुम्हें परवाह कितनी हैं.......

2525
ज़िन्दगी कभी आसान नही होती,
इसे आसान बनाना पड़ता हैं...
कुछ नज़र अंदाज करके,
कुछको बर्दाश्त करके!

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