14 March 2018

2476 - 2480 इत्र रूह महक मुकद्दर वफा मोहब्बत आँख आँसू तड़प जमाने धोखा दर्द कायर लफ़्ज़ संगत शायरी


2476
हँसते हुए लोगोंकी संगत,
इत्रकी दुकान जैसे होती हैं,
कुछ ना खरीदो फिर भी
रूह महका देते हैं।

2477
एक शब्द हैं (मुकद्दर)
इससे लड़कर देखो तुम
हार ना जाओ तो कहना,

एक शब्द हैं (वफा)
जमानेमें नहीं मिलती कहीं
ढूंढ पाओ तो कहना,

एक शब्द हैं (मोहब्बत)
इसे करके देखो तुम
तड़प ना जाओ तो कहना,
      
एक शब्द हैं (आँसू)
  दिलमें छुपाकर रखो
तुम्हारी आँखोंसे ना निकल जाए तो कहना,

2478
"चलो दिल कि अदला-बदली कर लेते हैं...
तड़प क्या होती हैं,
ये तुम भी समझ जाओगे."


2479
एक धोखा खुदको दे देता हूँ...
बगैर उनके मुस्कुरा जो लेता हूँ.......

2480
दर्द आँखोंसे निकला,
तो सबने बोला कायर हैं ये,
जब दर्द लफ़्ज़ोंसे निकला
तो सब बोले शायर हैं ये !

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