2536
कहनेको खुली
किताब हूँ मैं !
मगर सच कहूँ
तो एक राज़
हूँ मैं !
सबको लगता हैं लहर हूँ,
नदी हूँ,
या समन्दर हूँ मैं !
मगर सच कहूँ
तो बस प्यास
हूँ मैं !!!
2537
किस्मतसे लड़नेमें मजा आ
रहा हैं !
ये मुझे जीतने
नहीं दे रही,
और हार मैं
मान नहीं रहा ...
!
2538
इतना आसान
हूँ कि,
हर
किसीको समझ
आ जाता हूँ;
शायद तुमने ही पन्ने
छोड़ छोड़कर,
पढ़ा हैं मुझे।
2539
दुआएँ जमा करनेमें लगा हूँ
यारों...
... सुना
हैं.......
दौलत और शोहरत
साथ नहीं जाते...
2540
सोचते हैं कह
तो दें ,
हाल-ए-दिल
तुमसे...
पर डरते हैं
कहीं तुम्हें ,
फिरसे मुहब्बत
न हों जायें...!
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