2511
हर वक्त
कहता था,
अब
तो हर शाम
तुम्हारे साथ गुजरेगी...
अब बता
तू बदल गया,
या तेरे शहरमें शाम नहीं
होती.......
2512
आज आसमानके तारोंने मुझे पूछ
लिया,
"क्या तुम्हें अब भी
इंतज़ार हैं उसके
लौट आनेका..."
मैने मुस्कुराकर कहा,
तुम लौट आनेकी बात करते
हो...
"मुझे तो अब
भी यकीन नहीं
उसके जानेका...!"
2513
सीख रहा हूँ
मैं भी अब,
मीठे झूठ बोलनेकी कला ,
कड़वे सचने
हमसे ना जाने,
कितने अजीज छीन
लिए.......
2514
सोचा याद न
करके थोड़ा तड़पाऊं
उनको...
किसी औरका नाम लेकर
जलाऊं उनको...
पर
चोट लगेगी उनको
तो दर्द मुझको
ही होगा,
अब
ये बताओ किस
तरह सताऊं उनको...!!!
2515
नींद आए
या ना आए,
चिराग बुझा
दिया करो,
यूँ रातभर
किसीका
जलना, हमसे देखा
नहीं जाता...
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