2 March 2018

2416 - 2420 जिंदगी याद कोशिश ख्वाहिश उम्र मुसाफिर वाकिफ आशिक बेशक खूबसूरत चेहरे मुस्कान शायरी


2416
उसकी यादोंके रंग अब भी,
बहुत पक्के हैं...
जो लाख कोशिशोंके बाद भी,
छूटते नहीं हमसे...

2417
निकले थे इस आसपें,
किसीको बना लेंगे अपना ,
एक ख्वाहिशने उम्र भरका,
मुसाफिर बना दिया...

2418
ऐ समन्दर, मैं तुझसे वाकिफ हुँ,
मगर इतना बताता हुँ...
वो आँखें तुझसे ज्यादा गहरी हैं,
जिनका मैं आशिक हुँ.......!

2419
लोग कहते हैं कि सुधर जाओ वरना...
जिंदगी रुठ जायेगी....
हम कहते हैं...;
जिंदगी तो वैसे भी रुठी हैं,
पर हम सुधर गए तो,
हमारी पहचान रुठ जायेगी...!!

2420
बेशक,
वो खूबसूरत आज भी हैं फ़राज़।
पर चेहरेपर वो मुस्कान नहीं,
जो हम लाया करते थे..........

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