2426
कोई रंग नहीं होता,
बारिशके पानीमें !
फिर भी फ़िज़ाको,
रंगीन बना देता हैं !!
2427
कहनेको तो,
इस शहरमें कुछ नहीं बदला...
पर ये बात भी उतनी ही सही हैं,
मौसम अब उतने सुहाने नही बनते.......
2428
पूछ लो बेशक परिन्दोंकी,
हसीं चेहकारसे ;
तुम शफ़क़की झील हो और,
शामका मंज़र हूँ मैं।।
2429
चिरागसे न पूछो बाकि तेल कितना हैं;
साँसोसे न पूछो बाकि खेल कितना हैं !
पूछो उस कफ़नमें लिपटे मुर्देसे;
जिन्दगीमें गम और कफ़नमें चैन कितना हैं !!
2430
कागज़के नोटोंसे आखिर,
किस किसको खरीदोगे;
किस्मत परखनेके लिए यहाँ आज भी,
सिक्का ही उछाला जाता हैं!
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