2506
ये “ शायरी ” लिखना उनका
काम नहीं,
जिनके
“ दिल ” आँखोंमें बसा
करते हैं...
“शायरी”
तो
वो शख्स लिखते
हैं,
जो शराबसे नहीं “कलम”
से नशा करते
हैं...!
2507
कभी फुरसतसे हिसाब करेंगे,
तुझसे ऐ यार . . .
की मैने गुनाह ज्यादा
किये,
या तूने जख्म
ज्यादा दिए...
2508
एक जिक्र मैं होठोंसे कर दूँ,
और तू हाँ
कह दे,
चल कोई बीना
बातकी,
बात कह दे . . . . . . .!
2509
आपकी यादोंके बिना,
मेरी
ज़िंदगी अधूरी हैं;
आप मिल जाओ
तो,
हर तमन्ना
पूरी हैं;
आपके साथ जुडी
हैं,
अब मेरी
हर ख़ुशी;
बाकी सबके
साथ हँसना तो,
बस मजबूरी हैं!
2510
बिन धागेकी
सुईसी ...
बन गयी हैं ये ज़िंदगी,
सीलती कुछ नहीं ...
बस चुभती चली जा
रही हैं ...!
No comments:
Post a Comment