10 April 2018

2596 - 2600 मोहब्बत प्यार कश्मकश रहमत ख्वाब मुकम्मल चीज़ तक़दीर बात खुशियाँ शख्स शायरी


2596
बड़ी कश्मकश हैं मौला,
थोड़ी रहमत कर दे,
या तो ख्वाब दिखा,
या उसे मुकम्मल कर दे.......

2597
मुस्कुरानेसे शुरू और
रुलानेपें खतम...
ये वो जुल्म हैं जिसे लोग...
मोहब्बत कहते हैं.......

2598
जिस चीज़पें तू हाथ रखे,
वो चीज़ तेरी हो !
और जिससे तू प्यार करे,
वो तक़दीर मेरी हो.......

2599
कोई ना दे हमें खुश रहनेकी दुआ,
तो भी कोई बात नहीं,
वैसे भी हम खुशियाँ रखते नहीं,
बाँट दिया करते हैं.......!!!

2600
हज़ारोमें मुझे सिर्फ़,
एक वो शख्स चाहिये,
जो मेरी ग़ैर मौजूदगीमें,
मेरी बुराई ना सुन सके...!

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