3996
हमारी कद्र उनको
होगी,
तन्हाईयोमें एक दिन...
अभी तो बहुत
लोग हैं उनके
पास,
दिल्लगी
करनेके लिये...!
3997
ना कोई फ़साना हैं,
ना कोई
जज़्बात;
मेरी तन्हाई और कुछ...
अनकहे अलफ़ाज़.......
3998
बिखरे अरमान भीगी पलकें,
और ये तन्हाई...
कहूँ कैसे कि
मिला मोहब्बतमें,
कुछ भी नहीं.......।
3999
अजबसे वो
दिन थे,
अजबसी वो रातें;
तन्हाईमें तन्हाईसे,
तन्हाईकी
बातें.......।
4000
लफ़्जोकी दहलीजपर,
घायल जुबान हैं...
कोई तन्हाईसे,
तो कोई महफिलसे परेशान हैं...!
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