23 March 2019

4031 - 4035 शिद्दत याद अकेला इंतजार तलब आँख वक़्त लम्हा शायरी


4031
अच्छा-बुरा जैसा भी हूँ,
शिद्दतसे जी लेना मुझे...
बस एक लम्हा ही तो हूँ,
चुपकेसे गुजर जाऊँगा...!

4032
याद आऊं तो चले आना,
लम्हा आज भी वहीं थमा हैं...l
जिस मोड़पर तुमने,
मुझे अकेला कर दिया था...ll

4033
कई शाम गुजर गई,
कई राते गुजर गई...!
ना गुजरा तो सिर्फ एक लम्हा,
वो तेरे इंतजारका.......!

4034
तलब हैं या जुनूँ,
मेरी आँखोंका...?
हर लम्हा मुझमें,
तू पिघलासा क्यूँ हैं ?

4035
जी लो हर लम्हा,
बीत जानेसे पहले...
लौटकर यादें आती हैं,
वक़्त नहीं.......

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