17 March 2019

4001 - 4005 जिंदगी ज़ुल्फे आँखे हसीन मौका शोर दर्द गहरा याद मोहब्बत एहसास तन्हाई शायरी


4001
किसीने पूछा कौन याद आता हैं,
अक्सर तन्हाईमें...
मैने कहां, कुछ पुराने रास्ते, खुली ज़ुल्फे,
और बस दो आँखे...!

4002
कौन कहता हैं की,
तन्हाईयाँ अच्छी नहीं होती...
बड़ा हसीन मौका देती हैं ये,
ख़ुदसे मिलनेका.......!

4003
रंगीनियाँ जिंदगीकी,
तन्हाई भरी काली रातोंसे हैं...
दिनकी आबो हवा,
तुम्हारे नामका शोर मचाती हैं...!

4004
"हाथसे नापता हूँ,
दर्दकी गहराईको...
यह नया खेल मिला हैं,
मेरी तन्हाईको.......!"

4005
किसीको बार-बार,
एहसास दिलाना पड़े...
ऐसी मोहब्बतसे तो,
तन्हाई ही अच्छी.......

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