13 March 2019

3981 - 3985 दिल सुकून याद यार हाल जख्म जालिम फैसले वक्त रिश्ते आँख आजकल शायरी


3981
मकसद तो दिलके,
सुकूनका ही था;
कोई मंदिर चला गया...
कोई मधुशाला.......l

3982
दिल अब छोड़ भी दे,
उसे याद करना...
वो कलमा हीं जो तू भूल गया तो,
काफिर हो जायेगा.......l

3983
उसके हर जख्मपर,
दिल निसार होता हैं...
जालिम कितना भी हो,
यार तो यार होता हैं...!

3984
अपने दिलका हाल,
मैने पुछा हीं l
कोई कहता हैं,
वो आजकल अच्छा हीं ll

3985
कुछ हँसके बोल दिया करो,
कुछ हँसके टाल दिया करो l
यूँ तो बहुत परेशानियाँ हैं,
तुमको भी मुझको भी...
मगर कुछ फैसले,
वक्तपें डाल दिया करो l
जाने कल कोई,
हँसाने वाला मिले मिले...
इसलिये आज ही,
हसरत निकाल लिया करो ll
समझौता करना सीखिए,
क्योंकि थोड़ासा झुक जाना,
किसी रिश्तेको हमेशाके लिए...
तोड़ देनेसे बहुत बेहतर हैं ll
किसीके साथ हँसते-हँसते,
उतने ही हकसे रूठना भी आना चाहिए...
अपनोकी आँखका पानी धीरेसे,
पोंछना आना चाहिए l
रिश्तेदारी और दोस्तीमें,
कैसा मान अपमान...?
बस अपनोंके दिलमें,
रहना आना चाहिए.......!
                                              गुलज़ार

No comments:

Post a Comment