23 March 2019

4026 - 4030 असलियत कदर मतलब चाहत दुनिया तकलीफ सुकून फुर्सत शामिल याद लम्हा ख्याल शायरी


4026
ख्यालोंमें बीत रहा,
हर लम्हा तेरा हैं...
असलियत भी तेरी थी,
ख्याल भी तेरा हैं...!!!

4027
कदर करलो उनकी जो तुमसे,
बिना मतलबकी चाहत करते हैं...
दुनियामें ख्याल रखनेवाले कम और,
तकलीफ देनेवाले ज़्यादा होते हैं...!

4028
सब कुछ मिला सुकूनकी दौलत नहीं मिली, 
एक तुझको भूल जानेकी मौहलत नहीं मिली, 
करनेको बहुत काम थे अपने लिए मगर,
हमको तेरे ख्यालसे कभी फुर्सत नहीं मिली।

4029
तुम्हारा ख्याल मेरे मनसे,
जाये भी... तो जाये कैसे...
कि तुम मेरे ख्यालके,
ख्यालोंमें भी शामिल हो...!!!

4030
जाने क्यों आती हैं याद तुम्हारी,
चुरा ले जाती हैं आँखोंसे नींद हमारी;
अब यही ख्याल रहता हैं सुबह शाम,
कब होगी श्याम तुमसे मुलाकात हमारी

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