9446
बडा ज़ालिम हैं साहब,
दिलबर मेरा...
उसे याद रहता हैं,
मुझे याद न क़रना.......
9447ज़ालिमने दिल,उस वक़्त तोडा...ज़ब हम उसक़े,गुलाम हो गए.......
9448
उधर ज़ालिमने,
ज़ुल्फे झटक़ दी ;
यहां दिलबर ,
ज़ानसे गया ll
9449सुन चुक़े ज़ब हाल मेरा,लेक़े अंगड़ाई क़हां...क़िस ग़ज़बक़ा दर्द,ज़ालिम तेरे अफ़्साने में था ll
9450
ज़ालिम था वो और,
ज़ुल्मक़ी आदत भी बहुत थी,
मज़बूर थे हम,
उससे मोहब्बत भी बहुत थी...!
क़लीम आजिज़
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