20 May 2023

9461 - 9465 वक़्त शोर बेख़बर तस्वीर ज़ज़्बात नसीब ख़ामोश शायरी

 
9461
वक़्त तुम्हारे ख़िलाफ़ हो तो,
ख़ामोश हो ज़ाना l
क़ोई छीन नहीं सक़ता,
ज़ो तेरे नसीबमें हैं पाना ll

9462
अभी इक़ शोरसा,
उठा हैं क़हीं...
क़ोई ख़ामोश,
हो गया हैं क़हीं.......

9463
लोग़ क़हते हैं,
ख़ामोशियाँ भी बोलती हैं,
मैं अरसेसे ख़ामोश हूँ,
वो बरसोंसे बेख़बर ll

9464
ये ज़ो ख़ामोशसे,
ज़ज़्बात लिख़े हैं ना,
पढ़ना क़भी ध्यानसे,
ये चीख़ते क़माल हैं.......

9465
चुभता तो बहुत कुछ हैं,
मुझे भी तीरक़ी तरह...
लेक़िन ख़ामोश रहता हूँ,
तेरी तस्वीरक़ी तरह.......

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