23 May 2023

9476 - 9480 दिल धड़क़न मोहब्बत ख़ामोश शायरी

 
9476
दिलक़ी धड़क़ने हमेशा,
कुछ--कुछ क़हती हैं...
क़ोई सुने या सुने,
ये ख़ामोश नहीं रहती हैं.......

9477
हक़ीक़तमें ख़ामोशी,
क़भी भी चुप नहीं रहती...
क़भी तुम ग़ौरसे सुनना,
बहुत क़िस्से सुनाती हैं.......!

9478
रात ग़ुमसुम हैं, मगर ख़ामोश नहीं ;
कैसे क़ह दूँ आज़ फिर होश नहीं l
ऐसे डूबा हूँ तेरी आँख़ोक़ी गहराईमें...
हाथमें ज़ाम हैं, मगर पीनेक़ा होश नहीं...ll

9479
बातें तेरे-मेरे,
तमाशेक़ा सबब बनें,
इससे अच्छा हैं क़ि,
लब ख़ामोशहीं रहें ll

9480
क़्यों क़रते हो मुझसे,
इतनी ख़ामोश मोहब्बत...l
लोग समझते हैं,
इस बदनसीबक़ा क़ोई नहीं...ll

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