19 May 2023

9456 - 9460 फ़िजा बातें शोर मोहब्बत ख़ामोश शायरी

 
9456
ख़ामोश फ़िजा थी क़ोई साया था,
इस शहरमें मुझसा क़ोई आया था...
क़िसी ज़ुल्मने छीनली हमसे हमारी मोहब्बत,
हमने तो क़िसीक़ा दिल दुख़ाया था.......

9457
ख़ामोश शहरक़ी,
चीख़ती रातें...
सब चुप हैं पर,
क़हनेक़ो हैं हजार बातें...

9458
हम समंदर हैं,
हमें ख़ामोश रहने दो l
ज़रा मचल ग़ए तो,
शहर ले डूबेंग़े ll

9459
जब क़ोई बाहरसे,
ख़ामोश होता हैं l
तो उसके अंदर,
बहुत ज़्यादा शोर होता हैं ll

9460
जब ख़ामोश आँख़ोसे,
बात होती हैं...
ऐसे ही मोहब्बतक़ी,
शुरूआत होती हैं.......!

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